Saturday 9 March 2013

भीड तंत्र के सामने बौना होता कानुन

पीछ्ले दीनो   देश के अन्दर कुछ घटनाये हुई जो वासत्व मे शर्मसार कर देने वाली घटनाये है । और इन घटनाओ से नीपटने के लीये हमारे मौजुदा कानुन सक्षम है । फीर भी एसी घट्नाओ पर हमेशा आक्रोश होना स्वभावीक होता है । और यही हुआ इन घट्नाओ के बाद आक्रोश और राजनीती ने मील कर जो नया स्वरुप धरा उसे हम भीड तंत्र का नाम दे सकते है ।
                         ऎसा माना जाता है की  भीड तंत्र  और आक्रोश का ना तो चेहरा होता है और ना ही दीमाग या वीवेक और यही बात इन घनाओ के बाद देखने को मीली । इन घट्नाओ के बाद भीड तंत्र ने जो कानुन और सवीधान को दीशा देने की कोशीश की है । वो कोशीश कीतनी व्यस्क और परीपक्व कानुन की शक्ल अख्तीयार कर पायेगा इस पर बीना सोचे समझे सर्कार ने आनन फानन मे जो कानुन संसोधन के लीये कदम उठया वह इस बात की और इशारा करता है की आप के कानुन कीतने भी मजबुत क्यो न हो भीड तंत्र के सामने सरकारो और कानुन  के नुमाईन्दो के  हाथ पैर फुलने लगते है । और फीर परीणाम स्वरुप मौजुदा कानुन पर वो अपना भरोसा खो देते है । भीड तंत्र को प्रसन्न करने  के लीये नये कानुन पर काम शुरु कर देते है । और हम यह भी वीचार नही करते है की मौजुदा कानुन के परीपालन मे जो आधीकारी कर्मचारी रात दीन एक कीये हुए है। और जो आम नागरीक इस कानुन का पालन कर शांती व्यवस्था बनाये रखने मे सहयोग कर अच्छे नागरीक होने का दाईत्व निभा रहे है । उन सब के मनोबल पर क्या वीपरीत प्रभाव पडेगा इस वीषय पर गम्भीरता से वीचार आवशयक हो जाता है ।
                     अगर हम भीड तंत्र के हीसाब से कनुन बनाने लगेगे तो आगे चल कर एसे बहुत से वीषय हमरे सामने मुहबाये खडे है । जीन्ह पर अगर हम भीड तंत्र के दबाव मे कानुन बनाते है तो देश को एक रख पाने की चुनौतीयो का सामना करना पड सकता है । आज हमे सब से ज्यादा जरुरत है मौजुदा कानुन का कडाई से पालन  करवाने की तभी देश मे कानुन का राज पुर्ण रुप से स्थापीत दीखाई देगा और लाखो लाख एसे लोगो को जो शांती से कानुन और नीयमो का पालन कर अपने जीवन को सुचारु रुप से चलाना चाहते है को भीड तंत्र , आक्रोश और राजनीती के काक्टेल से मुक्ती दीलाते हुए देश के कानुन को भीड तंत्र के सामने बौना होने से बचाये ।