tag:blogger.com,1999:blog-58833072579523031122024-02-08T03:50:11.070-08:00Bharat-BhartiS. Jarnail Singh Bhatiahttp://www.blogger.com/profile/07470129207212155561noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-5883307257952303112.post-14605980822615680452013-04-03T06:10:00.001-07:002013-04-03T06:10:49.384-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br /></div>
S. Jarnail Singh Bhatiahttp://www.blogger.com/profile/07470129207212155561noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5883307257952303112.post-76286862311414214302013-03-09T23:59:00.000-08:002013-03-09T23:59:21.375-08:00भीड तंत्र के सामने बौना होता कानुन <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
पीछ्ले दीनो देश के अन्दर कुछ घटनाये हुई जो वासत्व मे शर्मसार कर देने वाली घटनाये है । और इन घटनाओ से नीपटने के लीये हमारे मौजुदा कानुन सक्षम है । फीर भी एसी घट्नाओ पर हमेशा आक्रोश होना स्वभावीक होता है । और यही हुआ इन घट्नाओ के बाद आक्रोश और राजनीती ने मील कर जो नया स्वरुप धरा उसे हम भीड तंत्र का नाम दे सकते है । <br /> ऎसा माना जाता है की भीड तंत्र और आक्रोश का ना तो चेहरा होता है और ना ही दीमाग या वीवेक और यही बात इन घनाओ के बाद देखने को मीली । इन घट्नाओ के बाद भीड तंत्र ने जो कानुन और सवीधान को दीशा देने की कोशीश की है । वो कोशीश कीतनी व्यस्क और परीपक्व कानुन की शक्ल अख्तीयार कर पायेगा इस पर बीना सोचे समझे सर्कार ने आनन फानन मे जो कानुन संसोधन के लीये कदम उठया वह इस बात की और इशारा करता है की आप के कानुन कीतने भी मजबुत क्यो न हो भीड तंत्र के सामने सरकारो और कानुन के नुमाईन्दो के हाथ पैर फुलने लगते है । और फीर परीणाम स्वरुप मौजुदा कानुन पर वो अपना भरोसा खो देते है । भीड तंत्र को प्रसन्न करने के लीये नये कानुन पर काम शुरु कर देते है । और हम यह भी वीचार नही करते है की मौजुदा कानुन के परीपालन मे जो आधीकारी कर्मचारी रात दीन एक कीये हुए है। और जो आम नागरीक इस कानुन का पालन कर शांती व्यवस्था बनाये रखने मे सहयोग कर अच्छे नागरीक होने का दाईत्व निभा रहे है । उन सब के मनोबल पर क्या वीपरीत प्रभाव पडेगा इस वीषय पर गम्भीरता से वीचार आवशयक हो जाता है ।
<br /> अगर हम भीड तंत्र के हीसाब से कनुन बनाने लगेगे तो आगे चल कर एसे बहुत से वीषय हमरे सामने मुहबाये खडे है । जीन्ह पर अगर हम भीड तंत्र के दबाव मे कानुन बनाते है तो देश को एक रख पाने की चुनौतीयो का सामना करना पड सकता है । आज हमे सब से ज्यादा जरुरत है मौजुदा कानुन का कडाई से पालन करवाने की तभी देश मे कानुन का राज पुर्ण रुप से स्थापीत दीखाई देगा और लाखो लाख एसे लोगो को जो शांती से कानुन और नीयमो का पालन कर अपने जीवन को सुचारु रुप से चलाना चाहते है को भीड तंत्र , आक्रोश और राजनीती के काक्टेल से मुक्ती दीलाते हुए देश के कानुन को भीड तंत्र के सामने बौना होने से बचाये ।</div>
S. Jarnail Singh Bhatiahttp://www.blogger.com/profile/07470129207212155561noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-5883307257952303112.post-6729604854277636042012-12-16T12:47:00.000-08:002012-12-16T12:55:35.061-08:00भीख या हक़ और ज़िम्मेदारी या सेवा . <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
बच्चे पैदा होने के पहले माँ के पेट मे ही या पैदा हो कर माँ की गोद मे दम तोड़ रहे है | उन्हे बचाने के लीये जो सवास्थ अमला होना चाहीये वो सरकार के पास नहीं है |ले दे कर बच्चा सावस्थता के साथ जन्म ले भी लेता है तो उस पर पर्याप्त आहार के अभाव मे कुपोषण के शीकार होने का साया छाया रहता है | वो कुपोषण से बचता बचाता अगर स्कूल मे पाहुचता भी है | तो उसके लीये स्कूलो मे स्थान की कमी है | भाग्य और भाग दौड़ कर माँ बाप उसको कीसी स्कूल मे भर्ती करवा भी लेते है | तो उसको पड़ाने वाले शीक्षक उपलब्ध नही है | कीस्मत से अगर स्कूल मे शीक्षकों की सरपरस्ती मील भी जाये तो सरकार या मैनेज मेंट से उनकी टकराहाट की वजह से वो फ़ीर पढ़ाई को पूरी नही कर पाता | और कीसी तरह वो अपनी पढ़ाई कर अपनी परीक्षा देता है, तो पर्चा फुट जाने के कारण वो पर्चा रद्द | कीसी तरह डीग्री ले कर वो नौकरीयों के लीये आवेदन पर आवेदन और सरकारी नौकरीयो के लीये दी गई परीक्षाओ को पूरा करते है | तो परीक्षाओ मे हुई कीसी न कीसी तकनीकी गलती पर कोई न कोई प्रतीभागी न्यालय जा कर उसके नतीजो को रुकवा देता है | और याहा एक बार फ़ीर वो बच्चा अपने भविषय को अंधकार मे पाता है | <br />
<br />
पैदा होने के पूर्व से ले कर मृत्यु तक एक इंसान और इस देश के एक वैध नागरीक को जीवन के प्रत्येक स्तर पर सरकार की और से जो हक , मूलभूत आवशयकताए , पोषण , कानूनी सरक्षण , न्याय मीलना चाहीये उसको वो क्यो लड़ कर ही ले पाता है ? और शायद कभी कभी तो वो उसको लेने की जद्दो जहद करते करते इस दुनीया से रुखसत भी हो जाता है | <br />
<br />
ये बड़ी वीडम्बना है की लोगो के हक को सरकारे उनके ऊपर उपकार के रूप मे उनके सामने भीख की तरह डालते है | और अपने भाषणो मे अपने आप को जनता का सेवक कहते हुए मसीहा साबीत करने से भी नही चूकते | न जाने कब हमारी सरकारे वोटो की राजनीती से ऊपर उठ कर देश के हर नागरीक को उसके हक और जरूरत के हीसाब से मूलभूत सेवाए दे पाने मे सक्षम होंगी | </div>
S. Jarnail Singh Bhatiahttp://www.blogger.com/profile/07470129207212155561noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5883307257952303112.post-64573683477837078802012-12-12T10:46:00.000-08:002012-12-12T10:51:16.464-08:00लो बीता 12/12/12 ........ सदी का आखरी तिथी संयोग <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
कीसी भी साल मे न तो तेरवा महीना होगा और न ही 13/13/13 या 14/14/14 जैसे आकडे देखने को मीलेगे हम लेकीस्मत वाले है जिन्हों ने 1/1/2001 से लेकर 12/12/12 देखा जो अब अगली सदी मे ही देखने को मीलेगा जैसे 1/1/3001 से ले कर 12/12/3012 और यह हमारे लीये संभव नही { खास कर मेरे लीये तो संभव नही है } |<br />
पीछ्ले कई दीनों से सदी के इस अंतिम तीथी संयोग को ले कर बहुत से लोगो ने बड़ी अजीबो गरीब हसराते पाली हुई थी | शादी , खरीदी , उध्घाटन तो समझ मे आता है | पर कुछ लोगो ने तब हद पार करदी जब उन्हों ने आने वाले बच्चे को 12/12/12 तय कर बच्चे की माँ को हास्पीटल मे भर्ती करवा दीया और यांहा भगवान ने उनकी चाहात पूरी करने से जैसे इंकार कर दीया | और बच्चे का जन्म माँ -बाप , डाक्टर सब मील कर भी बच्चे को सदी का अंतिम तिथी संयोग 12/12/12 जन्म दीन के रूप मे नही दे पाये |<br />
<br />
इससे पूरी तरह से यह तय हो गया की जन्म और मृत्यु इंसान के हाथ मे नही | हजारो पैसे वाले माँ बाप ने पूरी दुनीया मे आज के दीन अपने बच्चे को इस दुनीया मे लाने हेतु माँ बनने वाली महीलाओ को बड़े से बड़े डाक्टर और हास्पीटल मे भर्ती करवाया था | पर उनमे से कुछ बच्चे ही इस सदी की अंतिम तीथी संयोग को अपने जन्म दीन के रूप मे पा सके और दूसरी और दुनीया मे हजारो गरीब माँ बाप हजारो बच्चो को बीना कीसी पूर्व त्यारी और चाहात के जन्म दीया | यह भी एक संकेत है की मानो भगवान उन माँ बाप को कह रहा हो जिन्हों ने बच्चे को 12/12/12 को ही दुनीया मे लाने हेतु त्यारी कीथी की लो जी गुजर गया 12/12/12 आप चाहाकर भी अपने आने वाले बच्चे को 12/12/12 नही दे पाये जी |<br />
<br />
अंत मे केवल यही कहुगा होइये वही जो राम रची राखा .......... हमारी -आप की चाहत केवल ईश्वर पर निर्भर होती है |</div>
S. Jarnail Singh Bhatiahttp://www.blogger.com/profile/07470129207212155561noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5883307257952303112.post-59386330412989914582012-12-11T03:06:00.000-08:002012-12-11T03:08:12.329-08:00जीस देश का राजा व्यपारी उस देश की प्रजा भीखारी <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
मैंने अपने दादा -दादी से एक काहानी सुनी थी काहानी मे एक पात्र था एक राज्य का राजा था | उसके मन मे लालच इस कदर भर जाता है की राज्य मे जितना भी धन है वो उसके खजाने का हिस्सा कैसे बने इसी बात को ले कर वो अपना ध्यान केन्द्रीत करने लगा | और छोटे से छोटे व्यापार पर कब्जा करने की फिराक मे राज्य मे भय का वातावरण पैदा हो गया और छोटे छोटे व्यपारी और दुकानदार भी राज्य से पलाकर दूसरे राज्य मे अपना जीवन यापन करने लगे | एक समय एसा आ गया की आम लोगो को पूरी तरह राजा पर निर्भर होना पड़ गया और राजा लोगो की आपुर्ती कर पाने मे असफल हो गया | यही स्थीती आज पूरे देश मे पैदा हो रही है सबसीडी की दुकान खोल कर सरकारे लोगो को अपने ऊपर निर्भर तो कर ही रही है दूसरी तरफ लोगो को होने वाली आपुर्ती पूरी कर पाने मे असफल है |<br />
<br />
और आम आदमी गलत सरकारी नीतीयों के कारण छोटे से छोटा व्यवसाय करने मे डरने लगे है | और अपने आप को सरकारी नौकरीयों पर निर्भर करते जा रहे है | और वोटो की राजनीती के कारण सरकारे उतनी नौकरीया या पद अर्जित नही करती ताकी लोग उनके पास आते रहे और रोजी रोटी के लीये उनपर निर्भर हो जाये और व्यवसायो पर तो पहले ही वो नीयत्रीण कर चुकी होती है और आम लोग भी सब्सीडी के चलते काम करने से बचते है | और पूरी तरह सरकार पर निर्भर हो कर राजनीती वशीकरण जैसी स्थीती मे पाहुच जाते है | दूसरे शब्दो मे सरकार सब्सीडी का खेल कर अपना वोट बैंक तयार करती है | और लोग बीना काम कीए सब्सीडी का लाभ लेने के लीये सरकार को बनाए रखते है | इस सब का शीकार हो रहा है | मध्यम वर्गी कीसान ,दुकान दार ,व्यपरी , पूरा मध्यम वर्ग और बीना काम कीए कई सरकरी योजनाओ से सब कुछ पा लेने के एक रीवाज़ ने श्रम शक्ति को नष्ट करने का मानो बीड़ा उठा लीआ है | यह एसी राषटीय छ्ती है जिससे वीकास , निर्माण कार्य , क्रीषीय उत्पादन , औधोगीक ऊटपादन तेजी से नीचे आ राहा है | और इस सब की वजह से हमारी निर्यात घट रही है | और वीदेशी मुद्रा के अभाव मे हमारा रुपया रोज नीचे आ राहा और अंतराष्टीय बाजार मे हामारी साक भी |इस सब की वजह से हमारे ऊपर विदेशी कर्ज बड़ाता जा राहा है | और फ़ीर सरकार टैक्स पर टैक्स लगाते चले जाती है जिससे रोज़मर्रा की चीजे महगी होती है | सब्सीडी पा रहे लोगो के लीये तो सरकार चीजे उपलब्ध करा देती है पर मध्यम वर्ग की पहुच से वो बाहार हो जाती है | और उसे पाने के लीये वो जद्दो जहद करते हुए आत्म हत्या तक चले जाते है | और ये सब वोट खरीदने के लीये कीए जा रहे सब्सीड़ी के खेल की वजह से होता है | व्यापारो पर सरकारी और राजनीतीक व्यकतीयों के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष नियत्र्ण है| साथ ही साथ सरकारो के व्यवसाई होने के कारण भी ये होता है |<br />
इससे ये स्पष्ट होता है की रामायण मे लीखा सत प्रतिशत सही है की जिस देश का राजा व्यापारी उस देश की प्रजा भीखारी ................................................ तो दोस्तो समझो ,जागो और अपना भला खुद करो कोई व्यक्ती , सरकार या राजनीतीक पार्टीया आप को देश को माहान , उन्न्त ,और अग्रणीय नाही बना सकती हम सब को देश ही मे अधीक से अधीक काम करना चाहीये सरकार से कीसी प्रकार की सब्सीड़ी की आशा कीए बगैर अपने आप हम कर्ज मुक्त और वीक्सीत हो जायेगे | और हमे हर चीज वाजीब कीमत पर मीलेगी इससे उत्पादन बढेगा, निर्यात बढ़ेगा और वीदेशी मुद्रा का भंडार भी | दुनीया मे हमारा भरोसा बढ़ेगा तब वीकसीत देश के नागरीक कहलायेगे |</div>
S. Jarnail Singh Bhatiahttp://www.blogger.com/profile/07470129207212155561noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5883307257952303112.post-87708995403611773122011-08-19T04:24:00.000-07:002011-08-19T04:24:14.871-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div style="text-align: center;"> <u style="color: #cc0000;"><i><b>जय-भारत-भारती</b></i></u> </div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;">जो भगवान-भारत-भारतीय पर आस्था रखते हैं और वीरगति को प्राप्त होते हैं, उनकी शहीदी अमर होती है इलड़ने का जूनून भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, सुभाष चन्द्र बोस तथा लाला लाजपत राय जैसी शख्सियत पैदा करता है, जबकि जुल्म के सामने समर्पण करने की भावना विभीषण, मीर जाफर, जयचंद और शिखंडी पैदा करता है I </div><div style="text-align: left;"><br />
</div><div style="text-align: left;"><br />
</div></div>S. Jarnail Singh Bhatiahttp://www.blogger.com/profile/07470129207212155561noreply@blogger.com1